तुम्हें पाने से पहले जब असंतुष्ट रहा जा सकता था तब मैं कभी असंतुष्ट नहीं रहा तुम्हें पाने के बाद जब मुझे हो जाना चाहिए था संतुष्ट मैं तब संतुष्ट भी नहीं हो सका तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने पहली बार तुम्हारे बिना अपने अधूरेपन को महसूस किया और जब तक तुम्हारे साथ रहा इसी डर में रहा मैं फिर अधूरा रह जाऊँगा इस तुम्हारे नहीं होने से होने और फिर नहीं होने के दरमियाँ मैं अपने ही अंदर भटकता रहा अवचेतन से चेतन हुआ फिर चेतनाशून्य हो गया..... #अवचेतन