पहले कर ले दिल वज़ू। तब कर मुझसे गुफ़्तगू। मौला भी मिल जाएगा दिल से गर हो जुस्तजू। कुछ भी कह ले यार को रखना असली रंग बू। दिल में रख इक आइना खुद से भी हो रू ब रू। उस जैसा ना पायेगा तू हो जिसकी आरज़ू। खूब छिपाया इश्क़ को चर्चा फिर भी कू ब कू। जिसने कीं मोहब्बतें उसका दर्जा सुर्ख़ रू। प्रेम करूं या इश्क़ मैं दोनों लगते हू ब हू। मंदिर मस्जिद एक हैं कहती 'मीरा' चार सू। *** मनजीत शर्मा 'मीरा' प्रेम करूँ या इश्क़ मैं दोनों लगते हू ब हू 😊