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मन की आखों से देखों क्योंकि श्री कृष्ण ©Vishw Sha

मन की आखों से देखों क्योंकि श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust सभी मनुष्य सुख एवं शांति चाहते हैं लेकिन भौतिक, ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा में शांति सुख नहीं बल्कि सच्चा सुख तो परमात्मा के भजन में है।

उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति ही जीव का लक्ष्य है। परमात्मा को पाने के लिए ऋषियों ने अनेक साधना मार्ग बताये हैं। अष्टांग योग, सांख्य योग, ज्ञान, ध्यान, तप, यज्ञ, अनुष्ठान आदि मनुष्य को करना चाहिए। लेकिन प्रेम भक्ति योग भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है। सम्पूर्ण समर्पण का नाम ही भक्ति है। शास्त्रानुसार भक्ति नौ प्रकार की होती है। जिसे नवधा भक्ति कहते हैं। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य एवं आत्म निवेदन इस प्रकार की नौ भक्तियां करता हुआ भक्त शीघ्र ही परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।

।। विश्व शांति सनातन सेवा ट्रस्ट ।।
        🌹 प्रेमा भक्तिपथ🌹
मन की आखों से देखों क्योंकि श्री कृष्ण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust सभी मनुष्य सुख एवं शांति चाहते हैं लेकिन भौतिक, ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा में शांति सुख नहीं बल्कि सच्चा सुख तो परमात्मा के भजन में है।

उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति ही जीव का लक्ष्य है। परमात्मा को पाने के लिए ऋषियों ने अनेक साधना मार्ग बताये हैं। अष्टांग योग, सांख्य योग, ज्ञान, ध्यान, तप, यज्ञ, अनुष्ठान आदि मनुष्य को करना चाहिए। लेकिन प्रेम भक्ति योग भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है। सम्पूर्ण समर्पण का नाम ही भक्ति है। शास्त्रानुसार भक्ति नौ प्रकार की होती है। जिसे नवधा भक्ति कहते हैं। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य एवं आत्म निवेदन इस प्रकार की नौ भक्तियां करता हुआ भक्त शीघ्र ही परमात्मा को प्राप्त कर लेता है।

।। विश्व शांति सनातन सेवा ट्रस्ट ।।
        🌹 प्रेमा भक्तिपथ🌹

सभी मनुष्य सुख एवं शांति चाहते हैं लेकिन भौतिक, ऐश्वर्य, पद, प्रतिष्ठा में शांति सुख नहीं बल्कि सच्चा सुख तो परमात्मा के भजन में है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की प्राप्ति ही जीव का लक्ष्य है। परमात्मा को पाने के लिए ऋषियों ने अनेक साधना मार्ग बताये हैं। अष्टांग योग, सांख्य योग, ज्ञान, ध्यान, तप, यज्ञ, अनुष्ठान आदि मनुष्य को करना चाहिए। लेकिन प्रेम भक्ति योग भगवत प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन है। सम्पूर्ण समर्पण का नाम ही भक्ति है। शास्त्रानुसार भक्ति नौ प्रकार की होती है। जिसे नवधा भक्ति कहते हैं। श्रवण, कीर्तन, स्मरण, पाद सेवन, अर्चन, वंदन, दास्य, सख्य एवं आत्म निवेदन इस प्रकार की नौ भक्तियां करता हुआ भक्त शीघ्र ही परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। ।। विश्व शांति सनातन सेवा ट्रस्ट ।। 🌹 प्रेमा भक्तिपथ🌹