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निशा के इस प्रहर में, यादों के इस भंवर में, तुम्हे

निशा के इस प्रहर में,
यादों के इस भंवर में,
तुम्हे याद कर रही हूँ?
या तुम्हे याद आ रही हूँ?

तुमसे मैं जुड़ रही हूँ।
कैसे बंधन में बँध रही हूँ।।
(कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें❤️ )

*©मुस्कान सत्यम्*
*@muskan_thevoiceofsoul*

©Muskan Satyam 
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ख़ुद की रूह से मिल गयी हूँ
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तुमसे मैं जुड़ रही हूँ।
ये कैसे बंधन में बँध रही हूँ।।
ख़्वाबों कि राह में हूँ?
या मंज़िल से मिल गई हूँ?

=================== ख़ुद की रूह से मिल गयी हूँ =================== तुमसे मैं जुड़ रही हूँ। ये कैसे बंधन में बँध रही हूँ।। ख़्वाबों कि राह में हूँ? या मंज़िल से मिल गई हूँ? #Poetry #thinkingaboutyou #thinkingaboutlife #thinkingaboutus

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