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ये द्वैत की नगरी है प्यारे दिन रात चलती तलवार दोध

ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 
जन्म-मरण दुख-सुख मित्र-वैरी 
अपने-बेगाने के यहाँ अजब नजारे। 
दोनों हाथों में लड्डू चाहता है हर कोई
माया और राम में हर किसी को दुविधा रे। 
अपना मन ही पग-पग छलता है जहाँ
मझधार में डूबे सब पहुँचा न कोई किनारे। 
भजन-सिमरन की पतवार बना प्राणी
सत्संग-सेवा में लग सुधार जिंदगानी। 
दुई का चक्कर मिटेगा सतगुरु के सहारे। 
सतगुरु  दया-मेहर से लग जाओगे किनारे। 

ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़  द्वैत की नगरी
ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 
जन्म-मरण दुख-सुख मित्र-वैरी 
अपने-बेगाने के यहाँ अजब नजारे। 
दोनों हाथों में लड्डू चाहता है हर कोई
माया और राम में हर किसी को दुविधा रे। 
अपना मन ही पग-पग छलता है जहाँ
मझधार में डूबे सब पहुँचा न कोई किनारे। 
भजन-सिमरन की पतवार बना प्राणी
सत्संग-सेवा में लग सुधार जिंदगानी। 
दुई का चक्कर मिटेगा सतगुरु के सहारे। 
सतगुरु  दया-मेहर से लग जाओगे किनारे। 

ये द्वैत की नगरी है प्यारे 
दिन रात चलती तलवार दोधारे। 

बी डी शर्मा चण्डीगढ़  द्वैत की नगरी
ckjohny5867

CK JOHNY

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द्वैत की नगरी