चुनर, चुनर ओढ़ चली रंगरेज संग डोल चली कुछ कोरी कुछ सजधज के लाज बन घर दौड़ चली कुछ मुख सम्मुख यूं डटी रही कुछ मान सी घर घर बॅंटी रही कुछ ममता को आंचल में समेट कद से अपने बढ़ चली ©Swati kashyap #चुनर