राहें, अकेली सुनसान कभी ऊबड़ खाबड़ बियाबान कभी सपाट सरल आसान पथिक का लेती हैं इम्तहान इन राहों में आते जाते हर दिन नया दिन नई रातें नए हमसफर, नए मीत बिछड़ते जाते मिलते जाते कुछ भूल बिसर जाते कुछ सरी राह याद आते हर पल एक टीस बन सताते यादों में हंसते गाते मुस्कराते इन राहों में आते जाते एक ख़ूबसूरत #collab Cascade Writers की जानिब से। #आतेजातेराहमें #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi