घर परिवार में आजकल है वार्तालाप मौन दीवारों कहे अब असभ्य वाग्युद्ध कहानी। मीलों दूर ऑनलाइन निहारती रहती नज़र अब मेले में भी अकेलेपन में क्यों जवानी? मर - मिटना परमार्थ और परिवार हितार्थ नही अब युवावर्ग में, देश प्रेम की रवानी। बेरोज़गारी के पथ पर अग्रसर शिक्षा अब नही कोई सुविकसित सफलता निशानी। राजनीति परिवर्तित है आज कूटनीति में शासक स्वेच्छाचारी रहकर करे मनमानी। पथभ्रष्ट होकर रासलीला में लिप्त है नेता इच्छा रातें रंगीन और चाह शाम रूहानी। खटमल बन लहू चूसा बेचारे आदमी का बस शेष रही पूंजिपति घरानों की रोशनी। इस प्रकाश में भी अंधकारमय कुछ चेहरे कमबख्त शोषक! का क्या करूं बयानी। ©Anil Ray ⭐⭐⭐⭐🌟⭐⭐⭐⭐ ज़ालिम बादशाह! तेरे जुल्मों की सहनशक्ति नहीं है भूखी आंतों में। देखना अनिल अब दिन दूर नहीं तलवार होगी कलम वाले हाथों में। ⭐⭐ इंकलाब जिंदाबाद!⭐⭐ #lonelynight #dirtypolitics