2020 कि त्रासदी वक्त गुजर गए वह भी जमाने की कशमकश दौर का मजबूत रिस्ते हाथ से कब फिसला देखते सब रह गए थे कई अपने जूझ रहे मौत से "तड़प -तड़प" कर पड़े "चरण छुने" कि "हसरतें" सभी के धरे के धरे रह गए रह गई तमन्ना "कंधों पर उन्हें लेकर चलें श्मशान" तक सिर्फ "आँसुओं को बहाकर" उन्हें रुखसत कर रह गए ©Anushi Ka Pitara #2020 #कि #त्रासदी #Winter