मैं जिन्दा हूँ ये मुश्तहर कीजिए ***************** मैं ज़िन्दा हूँ यह मुश्तहर कीजिए मेरे क़ातिलों को ख़बर कीजिए । ज़मीं सख़्त है आसमां दूर है बसर हो सके तो बसर कीजिए । सितम के बहुत से हैं रद्द-ए-अमल ज़रूरी नहीं चश्म तर कीजिए । वही ज़ुल्म बार-ए-दिगर है तो फिर वही ज़ुर्म बार-ए-दिगर कीजिए । कफ़स तोड़ना बाद की बात है अभी ख्वाहिश-ए-बाल-ओ-पर कीजिए । (मुश्तहर=ऎलान) साभार- #Rekhta #SahirLudhiyanvi ©Ram Yadav #Ocean