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राग छिडते है,सुर भिडते है, तुझे गजल बनाने के लिए,


राग छिडते है,सुर भिडते है,
तुझे गजल बनाने के लिए,


अंतरों में उलझी,अल्फाज़ों की गागरी,
मेरी धुन अब कौन गाए,

बडे जोर से उठे,बडे गौर से उसे,
इन रागों जैसी शिद्दत अब कौन लगाए,

आंहें उठती है,आँखे झुकती है,
तुझे गजल बनाने के लिए ।

Read whole poem in caption.. 
राग छिडते है,सुर भिडते है,
तुझे गजल बनाने के लिए,


अंतरों में उलझी,अल्फाज़ों की गागरी,
मेरी धुन अब कौन गाए,

राग छिडते है,सुर भिडते है,
तुझे गजल बनाने के लिए,


अंतरों में उलझी,अल्फाज़ों की गागरी,
मेरी धुन अब कौन गाए,

बडे जोर से उठे,बडे गौर से उसे,
इन रागों जैसी शिद्दत अब कौन लगाए,

आंहें उठती है,आँखे झुकती है,
तुझे गजल बनाने के लिए ।

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राग छिडते है,सुर भिडते है,
तुझे गजल बनाने के लिए,


अंतरों में उलझी,अल्फाज़ों की गागरी,
मेरी धुन अब कौन गाए,
namitraturi9359

Namit Raturi

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