रहती हूँ मैं मौन सी पर वर्णमाला का ज्ञान भी है भले कहूं न कुछ जिह्वा से शब्दों की पहचान भी है मैं शांत रस सी दिखती हूँ पर मन में कोलाहल भी है रहती हूँ मैं मौन सी पर वर्णमाला का ज्ञान भी है आशय और भावों से सबके अब वाकिफ मैं हो चुकी हूँ भूतकाल में सोकर ही तो वर्तमान में जाग सकी हूँ क्रोध का नाममात्र भी मुझमें विस्तार नहीं पर ये कहना उचित नहीं कि मेरे भीतर क्रोध का अंगार नहीं.. रहती हूँ मैं मौन सी पर वर्णमाला का ज्ञान भी है भले कहूं न कुछ जिह्वा से शब्दों की पहचान भी है रहती हूँ मौन सी.. पर वर्णमाला का ज्ञान भी है. #ख़ामोशी #मैं #जज़्बात #क्रोध #hindipoetry #yqdidi