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वह आर्थिक रूप से पंगु बना देगा ; अगले बार फिर वह व

वह आर्थिक रूप से पंगु बना देगा ;
अगले बार फिर वह वायरस देगा ।
अगर कुचला न फन उस सफोले का ;
तो खुद का दोषी तू खुद होगा ।।
               जँहा काल होता है माँग जितनों की ;
               लाख कोशिशों पर भी टल नहीं सकी ।
               काल किसी न किसी रूप में छायी ;
               युद्ध व विरोध का टल नही सकी ।।
जीने की चाह ने लोगों में डर समाया ;
डर का ही तूने धरा पर व्यपार चलाया ।
स्वार्थ सिद्धि ने पाप का अम्बार लगाया ;
दूसरे को पीड़ित कर घृणा भाव फैलाया ।।
               घमण्ड से लोगों में दहशत फैलाया ;
               प्रकृति से छेड़छाड़ कर विषाणु लाया।
               तेरे कृत्य ने जीव स्तित्व पर संकट मंडराया;
               भूल है या स्वार्थ सिद्धि का डंका बजवाया।।
बार बार तू प्रकृति को ललकारा ;
सर्वशक्तिमान का ढोंग रचाया ।
करतूत ने सब मे खौप बनाया ;
क्षमा के लायक नहीं हो जताया।।
                 खौप है अभी उबर कँहा पाए हैं ;
                 और विषाणु का खोज बढ़वाया ।
                 जीने की डर से सब दुबक गए हैं;
                 जंग आरजकता का क्षेत्र बनवाया ।।
अन्याय को सहना पड़ेगा सबको भारी ;
देशों के मुखियों का खून न खौला ।
मारे गये लोग उनके खून का नही था ;
आह तो मजलूम गरीब निसहाय का था।।
               निर्दोषों की आह गरीब मजलूमों की आह ;
               जलाकर भस्म कर देगी तेरी शौकत को ।
               ईश्वर ने काल निर्धारण कर रखा है पागलों ;
                विनाश के भिन्न विकराल रूप को ।। #twilight  Khushboo Kumari  Yash Ritu Gupta Director Shakti Tiwari अधूरी बातें  Namita Sharma
वह आर्थिक रूप से पंगु बना देगा ;
अगले बार फिर वह वायरस देगा ।
अगर कुचला न फन उस सफोले का ;
तो खुद का दोषी तू खुद होगा ।।
               जँहा काल होता है माँग जितनों की ;
               लाख कोशिशों पर भी टल नहीं सकी ।
               काल किसी न किसी रूप में छायी ;
               युद्ध व विरोध का टल नही सकी ।।
जीने की चाह ने लोगों में डर समाया ;
डर का ही तूने धरा पर व्यपार चलाया ।
स्वार्थ सिद्धि ने पाप का अम्बार लगाया ;
दूसरे को पीड़ित कर घृणा भाव फैलाया ।।
               घमण्ड से लोगों में दहशत फैलाया ;
               प्रकृति से छेड़छाड़ कर विषाणु लाया।
               तेरे कृत्य ने जीव स्तित्व पर संकट मंडराया;
               भूल है या स्वार्थ सिद्धि का डंका बजवाया।।
बार बार तू प्रकृति को ललकारा ;
सर्वशक्तिमान का ढोंग रचाया ।
करतूत ने सब मे खौप बनाया ;
क्षमा के लायक नहीं हो जताया।।
                 खौप है अभी उबर कँहा पाए हैं ;
                 और विषाणु का खोज बढ़वाया ।
                 जीने की डर से सब दुबक गए हैं;
                 जंग आरजकता का क्षेत्र बनवाया ।।
अन्याय को सहना पड़ेगा सबको भारी ;
देशों के मुखियों का खून न खौला ।
मारे गये लोग उनके खून का नही था ;
आह तो मजलूम गरीब निसहाय का था।।
               निर्दोषों की आह गरीब मजलूमों की आह ;
               जलाकर भस्म कर देगी तेरी शौकत को ।
               ईश्वर ने काल निर्धारण कर रखा है पागलों ;
                विनाश के भिन्न विकराल रूप को ।। #twilight  Khushboo Kumari  Yash Ritu Gupta Director Shakti Tiwari अधूरी बातें  Namita Sharma