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सुन, महबूब मेरे, तेरी निगाह की ये जो छुअन भर रही

सुन, महबूब मेरे, तेरी निगाह की ये जो छुअन 
भर रही साँसों में गर्मी, रगों में भरे ये सिरहन।

धानी रँग के हुए नज़ारे, चढ़ रहा इन पर यौवन
धरा भी हुई पीताम्बरी, देखो इसका परहन।।

रुत बदल रही मिज़ाज़, अँगड़ाइयाँ ले रहा फागुन,
दिल खिलने का मौसम है, हम भी कर लें शगुन।। ♥️ Challenge-518 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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सुन, महबूब मेरे, तेरी निगाह की ये जो छुअन 
भर रही साँसों में गर्मी, रगों में भरे ये सिरहन।

धानी रँग के हुए नज़ारे, चढ़ रहा इन पर यौवन
धरा भी हुई पीताम्बरी, देखो इसका परहन।।

रुत बदल रही मिज़ाज़, अँगड़ाइयाँ ले रहा फागुन,
दिल खिलने का मौसम है, हम भी कर लें शगुन।। ♥️ Challenge-518 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator
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