आज फिर से बचपन की वो बचपना याद आ रही है। बारिश की वो बचपना फिर से इन आंखो में मुस्का रही है। दोस्तो के संग टायर की वो दौड़ लगाना, बहते पानी में कागज की वो नाव चलना,बारिश की बूंदों को पीना,और फिर पानी में छप छप की आवाज लगाना, बचपन की वो बचपना आज इन आखों में दौड़ लगा रही है। बचपन की वो बचपना