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|| श्री हरि: || 55 - स्वत्व 'अरी छोरियो। कहां जा

|| श्री हरि: ||
55 - स्वत्व

'अरी छोरियो। कहां जा रही हो सब?' दाऊ ने पूछ लिया। आज वह एक लाल - लाल किसलयों से लदे कदम्ब के नीचे जमकर बैठा है। गोएं आगे-पीछे, इधर-उधर चरने में लगी हैं। कन्हाई लगता है कि सखाओं के साथ कहीं पास ही खेलने में लगा होगा।

'दही बेचने।' रंग - बिरंगे वस्त्रों एवं अलंकारों से सजी छोटी - छोटी दहेड़ियां सिर पर रखे पांच से दस वर्ष तक की बालिकाओं का झुंड - वे सब खड़ी हो गई। बड़े संकोच से किसी एक अलक्ष्य कंठ ने उनमें से उत्तर दिया।

'हमें दही नहीं खिलाओगी?' दाऊ आज मौज में है।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || 55 - स्वत्व 'अरी छोरियो। कहां जा रही हो सब?' दाऊ ने पूछ लिया। आज वह एक लाल - लाल किसलयों से लदे कदम्ब के नीचे जमकर बैठा है। गोएं आगे-पीछे, इधर-उधर चरने में लगी हैं। कन्हाई लगता है कि सखाओं के साथ कहीं पास ही खेलने में लगा होगा। 'दही बेचने।' रंग - बिरंगे वस्त्रों एवं अलंकारों से सजी छोटी - छोटी दहेड़ियां सिर पर रखे पांच से दस वर्ष तक की बालिकाओं का झुंड - वे सब खड़ी हो गई। बड़े संकोच से किसी एक अलक्ष्य कंठ ने उनमें से उत्तर दिया। 'हमें दही नहीं खिलाओगी?' दाऊ आज मौज में है। #Books

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