अपने खुदा से दुआ करो कि किसी को इतने रतजगे न दे, कि पक्की नींद का पता ढूढ़ते ढूढ़ते उसकी उम्र गुज़र जाए। आसमान के पास आँखें होती है पर हाथ नहीं, ज़ख्मी गर्दन पर तमगे टाँगे गए। उसकी नींद की मिट्टी पर उगा दिए गए है कुछ खुशरंग गुलाब के फूल । आख़िर सकून और सन्नाटे में कुछ तो फर्क़ होता है ना? और तुम्हारा ही कहना है "जब दोनों ही सही हैं तो फिर गलत भी कुछ नहीं, और जब गलत नहीं तो फिर इस सवाल -जवाब से हासिल भी कुछ नहीं " दरअसल मेरे दोस्त! सन्नाटे न तोड़े गए तो जम्हाई आती है । ©Tarique S. Usmani #lamp