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गिरता है कोई। उठता है कोई। अपनों के बीच, रूठता है

गिरता है कोई।
उठता है कोई।

अपनों के बीच,
रूठता है कोई,

खाकर ठोकरें,
हँसता है कोई।

फूलों की तरह,
महकता है कोई।

ये इश्क़ है 'गीत'
बहकता है कोई।

©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल 
#sneha_geet 
#साहित्य_सागर 
#गजल_सृजन
गिरता है कोई।
उठता है कोई।

अपनों के बीच,
रूठता है कोई,

खाकर ठोकरें,
हँसता है कोई।

फूलों की तरह,
महकता है कोई।

ये इश्क़ है 'गीत'
बहकता है कोई।

©Sneha Agarwal 'Geet' #स्नेहा_अग्रवाल 
#sneha_geet 
#साहित्य_सागर 
#गजल_सृजन