बारिश बूँदों को जम के बरसने का मन करता है हमे बारिश में भीगने का मन करता है बहुत तरसाया है इन बादलो ने बारिश की बूँदों को और जमीन की मिट्टी को बूँदों को मिट्टी में और मिट्टी को बूँदों में समाने का मन करता है कब से कैद थी ये बूँदे बादलो के पिंजरे मे लगता है आज बादलों को भी मिट्टी और बूँदों के मिलन को देखने का मन करता है आख़िर बहुत अरसे बाद हुआ है ये मिलन तो मिट्टी को भी अपनी खुश्बू महकाने का मन करता है ✍️ ✍️ Dimpy panchal Barish