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रोज़-ए-अज़ल से एक तमाशे में गुम थे हम नाराज़ हो गए

रोज़-ए-अज़ल से एक तमाशे में गुम थे हम
नाराज़ हो गए हैं अब इक दूसरे से हम

बे-नाम ख़्वाहिशों की रियाज़त से थक गए
हम लोग तेरी वक़्ती मोहब्बत से थक गए
जो तुझ को जीना चाहते थे जल्दी मर गए
जो बच गए वो तेरी मसाफ़त से थक गए

अब तेरी सम्त मैं कभी पलटूँगा ही नहीं
गर तू बुलाए भी तो मैं लौटूँगा ही नहीं

हुज्जत तमाम हो गई और आ गई है शाम
ऐ ज़िंदगी जवाँ का तुझे आख़िरी सलाम

©Jashvant
  Zindgi Raj Guru PФФJД ЦDΞSHI Puneet Arora Sunny Madhu Kashyap Andy Mann