मशहूर शुरु के रिश्तों में बस फूल की खुबसूरती दिखती है। चुभने लगते हैं फिर काँटे, ज्यादा पास आते हीं। रिस जाते हैं फिर रिश्ते, गिनाई जाती है कमी फिर फूल की। निभ पाते बस उनसे, जिनकी हथेलीयाँ थामे रखती फूल की खुशबू। जो जानते स्वयं की कमी भी की क्यों चुभे शूल सुन्दरता के पास भी। थामना सम्भल के रिश्तों का फूल, दर्द मिले तो स्वयं की भूल को भी करना कबूल ©prerna singh #रिश्ता #रिस्ता #रिस्ते #रिश्ते