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बिखर गई माला! ज्यों टूटा, उसे पिरोने वाला धागा, कि

बिखर गई माला! ज्यों टूटा,
उसे पिरोने वाला धागा,
कितना खोजा, किन्तु ना मिला,
उसका मोती एक अभागा।। 

एक सौ आठ, नाम श्री प्रभु के,
अब ये माला, जप न सकेगी,
'एक की कीमत', सबपे भारी,
ये माला, अब नहीं चलेगी।। 

मनको तुम, अभिमान न पालो,
तुमको बांधे, साथ थी डोरी,
छिटक-2 कर बिखर गए तुम,
ज्यों टूटा, समरसता धागा।। 

भारत माता, धर्म सनातन,
यही सूत्र है, हमें पिरोये,
कीमत सबकी "शून्य" लगेगी,
रक्षा ना की, या चटकाया।।

©Tara Chandra Kandpal #सन्देश
बिखर गई माला! ज्यों टूटा,
उसे पिरोने वाला धागा,
कितना खोजा, किन्तु ना मिला,
उसका मोती एक अभागा।। 

एक सौ आठ, नाम श्री प्रभु के,
अब ये माला, जप न सकेगी,
'एक की कीमत', सबपे भारी,
ये माला, अब नहीं चलेगी।। 

मनको तुम, अभिमान न पालो,
तुमको बांधे, साथ थी डोरी,
छिटक-2 कर बिखर गए तुम,
ज्यों टूटा, समरसता धागा।। 

भारत माता, धर्म सनातन,
यही सूत्र है, हमें पिरोये,
कीमत सबकी "शून्य" लगेगी,
रक्षा ना की, या चटकाया।।

©Tara Chandra Kandpal #सन्देश
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