हो कर खड़ी दरीचों से मैं बीता ज़माना बुलाती हूँ, मेरा नाम अपनी ज़ुबाँ से आकर फ़िर से पुकार दे तू।— % & ♥️ आइए लिखते हैं दो मिसरे प्यार के :) ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ केवल 2 पंक्ति लिखनी हैं और वो भी प्यार की। ♥️ कृपया स्वरचित एवं मौलिक पंक्तियाँ ही लिखें।