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जो कुछ बचा सके.. वो सब समेट कर चले, एक चाद

जो कुछ बचा सके.. वो सब समेट कर चले,
        एक चादर फटी हुई में सब लपेट कर चले..!
क्या करेंगे गांव में..सबके मन में सवाल है,
        मजबूरी में अपने पांव को सब घसेट कर चले..!!
-------अमित घर वापसी करते मजदूर..
जो कुछ बचा सके.. वो सब समेट कर चले,
        एक चादर फटी हुई में सब लपेट कर चले..!
क्या करेंगे गांव में..सबके मन में सवाल है,
        मजबूरी में अपने पांव को सब घसेट कर चले..!!
-------अमित घर वापसी करते मजदूर..
amitkumar3832

AMIT

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