जो कुछ बचा सके.. वो सब समेट कर चले, एक चादर फटी हुई में सब लपेट कर चले..! क्या करेंगे गांव में..सबके मन में सवाल है, मजबूरी में अपने पांव को सब घसेट कर चले..!! -------अमित घर वापसी करते मजदूर..