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ओ गौरैया छत पर तो आजा। एक झलक अब तो दिखला जा। बह

ओ गौरैया छत पर तो आजा।

एक झलक अब तो दिखला जा।

बहुत दिनों से राह हो भूली।

अपनी चहचहाट फिर से सुना जा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।

बचपन में देखा था तुमको।

तिनिकों से घर को बनाते हुए।

मिट्टी के घरों में तुमको,घर सजाते हुए।

कहाँ खोई है चिड़िया रानी।

बचपन को फिर से महका जा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।

देख रखा है तेरी ख़ातिर, पानी मैंने छत पर।

क्यों इतना नाराज़ हुई हो, दूर हो जाने किस हठ पर।

सबसे तुम नाराज़ रहो पर, 
मुझसे मिलने फिर से आजा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।

बड़ा हो गया लेकिन दिल अब तक मेरा बच्चा है।

दुनिया के जैसा प्रेम नहीं, शायद अब तक सच्चा है।

मुझको अबोध नादान समझ, मुझसे मिलने एक बार आ जा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।
ओ गौरैया छत पर तो आजा।

अनुराग बाजपेई(प्रेम)
पुत्र स्व०श्री अमरेश बाजपेई
बरेली (उ०प्र०)
८१२६८२२२०२ ओ गौरैया छत पर तो आजा।

एक झलक अब तो दिखला जा।

बहुत दिनों से राह हो भूली।

अपनी चहचहाट फिर से सुना जा।
ओ गौरैया छत पर तो आजा।

एक झलक अब तो दिखला जा।

बहुत दिनों से राह हो भूली।

अपनी चहचहाट फिर से सुना जा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।

बचपन में देखा था तुमको।

तिनिकों से घर को बनाते हुए।

मिट्टी के घरों में तुमको,घर सजाते हुए।

कहाँ खोई है चिड़िया रानी।

बचपन को फिर से महका जा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।

देख रखा है तेरी ख़ातिर, पानी मैंने छत पर।

क्यों इतना नाराज़ हुई हो, दूर हो जाने किस हठ पर।

सबसे तुम नाराज़ रहो पर, 
मुझसे मिलने फिर से आजा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।

बड़ा हो गया लेकिन दिल अब तक मेरा बच्चा है।

दुनिया के जैसा प्रेम नहीं, शायद अब तक सच्चा है।

मुझको अबोध नादान समझ, मुझसे मिलने एक बार आ जा।

ओ गौरैया छत पर तो आजा।
ओ गौरैया छत पर तो आजा।

अनुराग बाजपेई(प्रेम)
पुत्र स्व०श्री अमरेश बाजपेई
बरेली (उ०प्र०)
८१२६८२२२०२ ओ गौरैया छत पर तो आजा।

एक झलक अब तो दिखला जा।

बहुत दिनों से राह हो भूली।

अपनी चहचहाट फिर से सुना जा।
mamtabajpai7198

mamta bajpai

New Creator

ओ गौरैया छत पर तो आजा। एक झलक अब तो दिखला जा। बहुत दिनों से राह हो भूली। अपनी चहचहाट फिर से सुना जा। #Stars #कविता