मेरी चाहत में है खोई रहती हैं, मुझपे ही उसकी नज़र है। हो नहीं सकती कभी दूर वो मुझसे, ऐसी मेरी हमसफ़र हैं। लम्हों की थकान वो दूर कर देती हैं, मेरे लबों को चूमकर। अहसास है उसे मेरी तकलीफ़ का, इतनी उसे फ़िकर है। इशारों इशारों में बातें है करती, बोलती उसकी नज़र है। दिल को भी आभास है रहता, ये चाहत का ही असर है। दिल को कहीं आराम न मिलता, बाँहों में उसकी बसर है। चाहत है वो मेरी दिलबर है वो, वो ही तो मेरी रहगुज़र है। देखूँ न उसको तो दिल भी न माने, क्यूँ इतनी फ़िकर है। उसके दरस का प्यासा दिल मेरा, उसका ही मुंतज़र है। आँखों में बसा है उसका ही चेहरा, दिल को मेरे ख़बर है। राह भी मेरी वो मंज़िल भी मेरी, अब वो ही मेरी डगर है। ♥️ Challenge-683 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।