गुमनाम वफ़ा करते करते थक गया हूँ तेरी दहलीज पर आते आते रुक गया हूँ तेरे एक वादे को निभाते निभाते मिट गया हूँ कहां था कैसा था मैं क्या से क्या हो गया हूं अब ये रस्म हमसे निभाई नहीं जाती जो बात है दिल में है वो छुपाई नहीं जाती क्या करूँ कैसे करूँ कुछ समझ नहीं आता तुम्हें किसी और के संग मुझसे देखा नहीं जाता - seema yadav ♥️ Challenge-699 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।