जहन में न हो चाह मुकद्दर को बदलने की नित उद्योग में रत यदि तन न हो, खुदा भी सहारा नही देता बेड़ियां तोड़ने में गर खुद का का मन न हो। सुकुमार.....✒ बेडियां