बारिश बारिश का लम्हा था एक पल ये दिल ठहरा था खामोश था मन फिर भी मचला था जिन्दगी की रेल एक पल के लिए ठहर गई थी भागदौड और व्यस्तता इस बारिश मे खो गई थी सुनी बंजर जमीन फिर से हरी और खुशहाल लग रही थी फिर से सब नया और खुबसुरत लग रहा था बारिश का लम्हा था एक पल ये दिल ठहरा था खामोश था मन फिर भी मचला था shikha ojha #बारिश