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your quote रण्डीबाजार भरी दोपहरी में आज नदीम फार

your quote रण्डीबाजार


भरी दोपहरी में आज नदीम फारूक के अम्मी ने पेड़ प्रोग्राम किया
खूब चूत दी और जमकर माल उठाया उसके साथ और दो
रंडिया भी थी कोई किरण जिसकी चाटता है हमेशा ही rest zone
और कोई और एक जिसका नाम मैं भुल गया नाम याद रख कर
करना भी क्या है your quote रण्डीबाजार में नाम थोड़ी चलते है
आज कोई गनवीर बाई है कल कोई नीलम परसो वो ही कोई
चंपा चमेली।  और उनके 
पीछे छिपे हिजड़े दल्ले नदीम फारूक कभी आरिफ़ अल्वी
कभी गौतमी कुमारी तालीमार

(कहानी आगे)

©Deep Bawara
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