थी घड़ी वहीं पड़ी बिना लड़े जो खड़ी ना जुड़ी एक कड़ी थी कयामत आ पड़ी प्रकृति आज लड़ पड़ी ):धूप में धूप, शाम में शाम है किसान को बारिश, पेड़ो पर आम है जो है आज वो सब पर बवाल है कैसे हम निपटे सबका सवाल है पहले ईटे बनाई, आज उनमें दफन हूं धरा है कहती, पशु मै तेरा भवन हूं नमन हूं, ):इतना सहकर भी तूने बिगाड़ा नहीं इतने मोके मिले हमने सुधारा नहीं गवारा नहीं,अगर मर भी गए तो है शर्मिंदा, अगर बच भी गए तो तू ही सहे क्यों, ये सबका गुनाह है तू ही सही , हम सारे गवाह है :)देख ये सब हंस रही अब धरा जो जी रही ये कोम तो खराब रही उधारी अब "किसकी" रही situation teller #nojoto.com #nojotonature #nojotohindipoetry #nojotoquotes #shubhamtyagiquotes #situationteller #covid19