कबीर नाव जर्जरी कूड़े खेवनहार । हलके हलके तिरि गए बूड़े तिनि सर भार !। कबीर कहते हैं कि जीवन की नौका टूटी फूटी है जर्जर है उसे खेने वाले मूर्ख हैं-जिनके सिर पर विषय वासनाओं का बोझ है वे संसार सागर में डूब जाते हैं–संसारी हो कर रह जाते हैं दुनिया के धंधों से उबर नहीं पाते –उसी में उलझ कर रह जाते हैं पर जो इनसे मुक्त हैं –हलके हैं वे तर जाते हैं-पार लग जाते हैं- भव सागर में डूबने से बच जाते हैं। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' विषय वासना