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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री ह

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
5 - स्वस्थ समाज

आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग हमने पैदल पार किया था।

मेरे भाग्य-देवता अनुकूल थे। मैं जोशीमठ पहुँचा और पता लगा कि आज ही शाम को पट खुलनेवाला है। जब मैं श्रीबद्रीनाथधाम पहुंचा, मार्गों पर तीन-चार फुट बरफ पड़ी थी और दूकानदार फावड़ों से बरफ हटा कर अपनी दुकानों के द्वार खोलने के प्रयत्न में लगे थे।
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Anil Siwach

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 5 - स्वस्थ समाज आज की घटना नहीं है, लगभग 35 वर्ष हो चुके इसे। उस वर्ष हिमालय में हिमपात अधिक हुआ था। श्रीबद्रीनाथजी के मन्दिर के पट वैसे सामान्य स्थिति में अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल 3) को खुल जाया करते हैं, किन्तु मैं जब जोशीमठ पहुँचा तो यात्री वहीं रुके थे। पट तब तक भी खुले नहीं थे। मैं अक्षय तृतीया वृन्दावन ही करके चला था। मार्ग में तीन-चार दिन तो ऋषिकेश तक में ही रुकते-रुकाते लगे थे और तब मोटर बस केवल देवप्रयाग तक जाती थी। आगे का मार्ग हमने पैदल पार किया था। मेरे भाग्य-देवता अनुकूल थे। मैं जोशीमठ पहुँचा और पता लगा कि आज ही शाम को पट खुलनेवाला है। जब मैं श्रीबद्रीनाथधाम पहुंचा, मार्गों पर तीन-चार फुट बरफ पड़ी थी और दूकानदार फावड़ों से बरफ हटा कर अपनी दुकानों के द्वार खोलने के प्रयत्न में लगे थे।

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