हर दिन सच को , झूठ के पैरों तले रौंदा गया, एक एक इंच उसकी कब्र को,रोज़ाना खोदा गया, फ़िर दफ़न कर दिया उसको ,दीन-ओ-ईमान संग, फरेब की इस दुनिया में ,अब झूठ के बिखरे हैं रँग, हर कोई ख़ुश है ,ये दुनिया झूठ की अपनाकर, कोई नही है कम किसी से , हिस्सेदारी है बराबर, दो पल की खुशी पाने को ,चैन उम्रभर का गंवा दिया, सच की दौलत फूँक कर ,झूठ का सिक्का चला दिया, झूठ ,कपट और बेईमानी की , भूमिका संदिग्ध है, एक नही दो चार नही ,आधी दुनिया इसमें लिप्त है, कहाँ थमेगा तांडव जाकर, झूठ की कारगुज़ारी का, रोक लो ये झूठ का बाना, रूप लेले न महामारी का।। -पूनम आत्रेय ©poonam atrey #Road #सचझूठ