मैं लफ्ज़ नही एहसास लिखता हूँ बिखर जाता हु तो जज़्बात लिखता हूंँ देखा किनारे से लहरों को मजे मारते हुवे मै तेरे अशको को समंदर लिखता हूंँ बड़ी प्यार से लगाया था तुमने गले से मुझे मैं तेरो बाहों को गले का हार लिखता हूंँ महक अत्तर सी है तेरी सांसों की हमसफर मैं तेरे लबों को महेकता गुलाब लिखता हूंँ झुलसा देती है ज़माने की नफरत मुझे मेरी तेरो बालो को ठंडी चाव लिखता हूंँ सुर्ख लिबास मैं लगती हो बाकमाल इसलिए मैं तुम्हे आग लिखता हूंँ तेरे आगे लगती है दुनिया मुझे छोटी में तारीफ मैं तुझे कायनात लिखता हूंँ ©Writer Abhishek Anand 96 #Hum दिल में हो तुम......