पल्लव की डायरी जानवरो जैसी जिंदगी हाकती कानूनो की घण्टी बांधती है दाना पानी की जुगाड़ ना करती जनता को अपने खूंटो से बांधती है चाबुक चलाती बन्धनों का अधमरा कर जाती है कामधेनु समझती हमको दूध समझ हमको पूरा निचोड़ जाती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" कामधेनु समझती हमको #Dhanteras