विषय :- बहती नदी सा वक़्त (02-10-2021) ******************************************* बहती नदी सा वक़्त हमारा, लौट के ना आएगा दोबारा। जी लो जी भर के हर पल यहाँ, सच्चा साथी यही हमारा। मिलती नहीं सोहरत उसे, जो वक़्त से कर लेता है किनारा। बहते चलो इस वक़्त की धार में, तरक्की का है यही सहारा। वक़्त का परिंदा रुकता नहीं, चलता रहता है निरंतर धारा। वक़्त के साथ जो चल नहीं पाता, होता नहीं उसका गुजारा। वक़्त बलवान, वक़्त मूल्यवान, वक़्त की चाल जैसे इशारा। समेट लो ख़ुशियाँ वक़्त की झोली से, तोहफा यही सबसे प्यारा। वक़्त के साथ पता चलता अपनों का और कौन है हमारा। दिया है जिसने वक़्त पे साथ, वही सच्चा साथी हमारा। विषय :- बहती नदी सा वक़्त (02-10-2021) बहती नदी सा वक़्त हमारा, लौट के ना आएगा दोबारा। जी लो जी भर के हर पल यहाँ, सच्चा साथी यही हमारा। मिलती नहीं सोहरत उसे, जो वक़्त से कर लेता है किनारा। बहते चलो इस वक़्त की धार में, तरक्की का है यही सहारा।