इस शहर में जीने के अंदाज निराले है, अपने हो कर भी रिश्ते लगते बेगाने है। सांझ ढले रईसों के सजते मयखाने है, फकीरों को पेट भरने को पड़े लाले है। सड़को पर उजियालें दिलों में अंधेरे है, ग़म के तम वेबस ज़िंदगियों को घेरे है। खुशी भी यहां दौलत की मोहताज है, धनिको के सिर सजे खुशी के ताज है। सपनों को सच करने आ गए थे शहर, गमों की उदासी में बीतते शामो सहर। JP lodhi 18JAN2021 ©J P Lodhi. #shaharizindagi #Nojotowriters #poetryunplugged #Nojotonews #Nojotofilms #Nojotohindi #Poetry