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समंदर और दरिया को समझो यारो। कभी दरिया के पीछे समं

समंदर और दरिया को समझो यारो।
कभी दरिया के पीछे समंदर नहीं चलता।

चिंगारी तो चाहिए दीया चलाने को।
फ़कत बाती होने भर से दिया नहीं जलता।

हालत कर देते हैं कुछ मजबूर इंसा को।
किसी के दिल में यूंही गम नही ढलता।

हम सफर बिछड़ा रास्ते में तो रोना क्या।
दुनिया में कौनसा इंसान अकेला नहीं चलता।

इतनी जल्दी तुझे मिला तो कुछ खूबी होगी तुझमें।
" निसार" किसी को इतनी जल्दी नहीं मिलता।

©नितीश निसार #Nisar
समंदर और दरिया को समझो यारो।
कभी दरिया के पीछे समंदर नहीं चलता।

चिंगारी तो चाहिए दीया चलाने को।
फ़कत बाती होने भर से दिया नहीं जलता।

हालत कर देते हैं कुछ मजबूर इंसा को।
किसी के दिल में यूंही गम नही ढलता।

हम सफर बिछड़ा रास्ते में तो रोना क्या।
दुनिया में कौनसा इंसान अकेला नहीं चलता।

इतनी जल्दी तुझे मिला तो कुछ खूबी होगी तुझमें।
" निसार" किसी को इतनी जल्दी नहीं मिलता।

©नितीश निसार #Nisar
nitishnisar7717

NITISH NISAR

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