हम परमात्मा की तरह शुद्ध नहीं, ना ही हम उनकी तरह हैं अति उत्तम, बह जातें हैं कभी हवाओं संग, कभी बह जाते हैं चिकनी- चुपड़ी बातों में। कभी हताश निर्झर पड़े रहते, कभी फुदकते झरनों की तरह, कभी शान्त, बुद्ध के मुस्कान की तरह, कभी मच जाती है हलचल सैलाब की तरह। पर कोशिश करें अगर हम, उत्तम बनना इतना भी कठिन नहीं, पेड़ों की छाँव में मन शान्त रखना, कुछ कर दिखाना दुर्लभ नहीं।। सुप्रभात। कोशिश तो कर सकते हैं, हाँ ख़्वाहिश तो कर सकते हैं... #कोशिशकर #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi