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हर रोज़ मैं दूर रिश्ते _नाते करता हूं ., आजकल मैं

हर रोज़ मैं दूर रिश्ते _नाते करता हूं .,
आजकल मैं किताबों से बातें करता हूं ।

कल मैं जो था और आज मैं जो हूं ,
थोड़ा सा हूं बेशक ! मगर परिवर्तन तो हूं .
मेरे कल का धुंधला सा दर्पण तो हूं ..!
कामयाबी नहीं , मगर ख़ुद का समर्पण तो हूं ,

हर रोज़  थोड़ी सी काली रातें करता हूं ,
आजकल मैं किताबों से बातें करता हूं ।

गिरता ही सही ! मगर पंख फैलाता तो हूं ,
बुझता है बहुत मगर हर रोज़ जलाता तो हूं !
टूटते हैं बहुत ! मगर हर रोज़ सजाता तो हूं .,
आंख लगती हैं मगर हर रोज़ जगाता तो हूं !

हर रोज़  थोड़ी सी काली रातें करता हूं ,
आजकल मैं किताबों से बातें करता हूं ।

©Vikash Mehra KD #विकास_मैहरा_केडी__ 

#NationalSimplicityDay
हर रोज़ मैं दूर रिश्ते _नाते करता हूं .,
आजकल मैं किताबों से बातें करता हूं ।

कल मैं जो था और आज मैं जो हूं ,
थोड़ा सा हूं बेशक ! मगर परिवर्तन तो हूं .
मेरे कल का धुंधला सा दर्पण तो हूं ..!
कामयाबी नहीं , मगर ख़ुद का समर्पण तो हूं ,

हर रोज़  थोड़ी सी काली रातें करता हूं ,
आजकल मैं किताबों से बातें करता हूं ।

गिरता ही सही ! मगर पंख फैलाता तो हूं ,
बुझता है बहुत मगर हर रोज़ जलाता तो हूं !
टूटते हैं बहुत ! मगर हर रोज़ सजाता तो हूं .,
आंख लगती हैं मगर हर रोज़ जगाता तो हूं !

हर रोज़  थोड़ी सी काली रातें करता हूं ,
आजकल मैं किताबों से बातें करता हूं ।

©Vikash Mehra KD #विकास_मैहरा_केडी__ 

#NationalSimplicityDay