*उमंगों के दीप जलाऊं मैं* दिल करे इस दिवाली पर उमंगों के दीप जलाऊं मैं अंधियारा जीवन का सारा अपने साहस से मिटाऊं मैं जिन कटु यादों ने हृदय के द्वार को घेर रखा है, उन घेरों को गिरा कर अब प्रेम का श्रोत बहाऊं मैं अंधियारा जीवन का सारा अपने साहस से मिटाऊं मैं साफ कर दूं जाले निराशा के मन मंदिर के रोशनदानों से और मन के कोने कोने में विश्वास की किरणें फैलाऊं मैं अंधियारा जीवन का सारा अपने साहस से मिटाऊं मैं सकारात्मकता का छिड़काव करूं सुनहरे उम्मीदों के फुलवारी पर सुंदर स्मृतियों के झालर और लड़ियों से विचारों के आंगन को जगमगाऊं मैं अंधियारा जीवन का सारा अपने साहस से मिटाऊं मैं श्रेष्ठ कर्म और प्रभु निष्ठा से हर स्वप्न साकार होता है, अपनों के साथ साथ ही ये गैरों को भी बताऊं मैं अंधियारा जीवन का सारा अपने साहस से मिटाऊं मैं स्वलिखित रचना बीना राय, गाजीपुर उत्तर प्रदेश ©Beena उमंगों के दीप शुभ दीपावली #Lights