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चाय, दोस्ती और प्यार part 1 Story read in caption�

चाय, दोस्ती और प्यार
part 1
Story read in caption👇 बहुत तेज बारिश हो रही थी और दीपक बारिश का मजा चाय पीते हुए एक छोटे से होटल में बैठा था। हल्की हल्की हवाएं चल रही थी। तभी होटल के सामने अचानक से एक स्कूटी रूकी। और उसमें से एक लड़की उतरी और होटल के अंदर प्रवेश की। लड़की देखने में इतनी सुंदर थी मानों इंद्रलोक से अप्सरा आ गई हो। 
वो आई और दीपक के बगल में बैठ गई क्योंकि छोटा सा होटल था और जगह ज्यादा नहीं था। दीपक तभी चाय पी रहा था। उस लड़की ने दुकानदार से एक चाय के लिए कहा। तभी बारीश खत्म हो चुकी थी और दीपक की चाय भी। दीपक के मन में लड्डू फूट रहे थे बात करने के लिए, लेकिन डर भी लग रहा था। वो कैसे बात करें ये सोच रहा था कि तभी दीपक ने दुकानदार से एक और चाय के लिए कहा। 
कुछ देर बाद दुकानदार एक चाय लाया तो दोनों दीपक और वो लड़की ने अपना हाथ बढाया, दीपक को लगा कि वो मुझे चाय दे रहा है और  उस लड़की को भी हुआ कि मुझे चाय दें रहा है। दोनों के हाथ स्पर्श हुए, दीपक ने तुरंत अपना हाथ छीप लिया और कहा आप चाय लो। उस लड़की ने कहा नहीं आप ले लो।
दीपक ने फिर कहा मैंने अभी पीया है आप पी लो और मैं दुसरा ले लुंगा।
वो लड़की मान गई और चाय ले ली। दुकानदार ने दीपक के लिए दुसरा चाय लाने गया। 
तभी उस लड़की ने दीपक से कहा कि आपका नाम क्या हुआ। दीपक सकपका गया और हरबड़ में कहा जी दीपक। उस लड़की को ठीक से सुनाई नहीं दिया क्योंकि दीपक ने हरबड़ा कर नाम कहा था। लड़की ने फिर कहा जी नहीं समझे। दीपक ने सांस में सांस ली और थोड़ा धीरे से कहा दीपक है मेरा नाम। और दीपक ने भी पुछ लिया कि आप नाम क्या है??
वो मुस्कुरा कर बोली जी मैं काजल हूं। 
दीपक ने फिर पूछा आप कहां से हो, आप गांव की तो नहीं लगती।
चाय, दोस्ती और प्यार
part 1
Story read in caption👇 बहुत तेज बारिश हो रही थी और दीपक बारिश का मजा चाय पीते हुए एक छोटे से होटल में बैठा था। हल्की हल्की हवाएं चल रही थी। तभी होटल के सामने अचानक से एक स्कूटी रूकी। और उसमें से एक लड़की उतरी और होटल के अंदर प्रवेश की। लड़की देखने में इतनी सुंदर थी मानों इंद्रलोक से अप्सरा आ गई हो। 
वो आई और दीपक के बगल में बैठ गई क्योंकि छोटा सा होटल था और जगह ज्यादा नहीं था। दीपक तभी चाय पी रहा था। उस लड़की ने दुकानदार से एक चाय के लिए कहा। तभी बारीश खत्म हो चुकी थी और दीपक की चाय भी। दीपक के मन में लड्डू फूट रहे थे बात करने के लिए, लेकिन डर भी लग रहा था। वो कैसे बात करें ये सोच रहा था कि तभी दीपक ने दुकानदार से एक और चाय के लिए कहा। 
कुछ देर बाद दुकानदार एक चाय लाया तो दोनों दीपक और वो लड़की ने अपना हाथ बढाया, दीपक को लगा कि वो मुझे चाय दे रहा है और  उस लड़की को भी हुआ कि मुझे चाय दें रहा है। दोनों के हाथ स्पर्श हुए, दीपक ने तुरंत अपना हाथ छीप लिया और कहा आप चाय लो। उस लड़की ने कहा नहीं आप ले लो।
दीपक ने फिर कहा मैंने अभी पीया है आप पी लो और मैं दुसरा ले लुंगा।
वो लड़की मान गई और चाय ले ली। दुकानदार ने दीपक के लिए दुसरा चाय लाने गया। 
तभी उस लड़की ने दीपक से कहा कि आपका नाम क्या हुआ। दीपक सकपका गया और हरबड़ में कहा जी दीपक। उस लड़की को ठीक से सुनाई नहीं दिया क्योंकि दीपक ने हरबड़ा कर नाम कहा था। लड़की ने फिर कहा जी नहीं समझे। दीपक ने सांस में सांस ली और थोड़ा धीरे से कहा दीपक है मेरा नाम। और दीपक ने भी पुछ लिया कि आप नाम क्या है??
वो मुस्कुरा कर बोली जी मैं काजल हूं। 
दीपक ने फिर पूछा आप कहां से हो, आप गांव की तो नहीं लगती।
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Nitish Sagar

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