राख की कई परतों के नीचे तक देखा, पर अफ़सोस, वो गुरुर, वो रूबाब, वो पद और रुतबा, कहीं नज़र नहीं आया,जो सारी उम्र ओढ़े बैठे थे! प्रेम एक यात्रा