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झूठ है, छलावा है, सपना है। "माँ" के सिवा कौन अपना

झूठ है, छलावा है, सपना है।
"माँ" के सिवा कौन अपना है।।

दोस्त हैं, पड़ोसी हैं, रिश्तेदार हैं।
"माँ" नहीं है तो सब बेकार हैं।।

बहन है, बीवी है, बेटी है।
"माँ" इन सबसे ऊपर रहती है।।

सब पूछेंगे बेटा कितना कमाया है।
"माँ" कहेगी कुछ खाले, दूर से आया है।।

©आदिल सरफ़रोश bolly wood

#girl
झूठ है, छलावा है, सपना है।
"माँ" के सिवा कौन अपना है।।

दोस्त हैं, पड़ोसी हैं, रिश्तेदार हैं।
"माँ" नहीं है तो सब बेकार हैं।।

बहन है, बीवी है, बेटी है।
"माँ" इन सबसे ऊपर रहती है।।

सब पूछेंगे बेटा कितना कमाया है।
"माँ" कहेगी कुछ खाले, दूर से आया है।।

©आदिल सरफ़रोश bolly wood

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