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मन की इच्छओं और बुद्धि के अहंकार का पिघलना ही प्रे

मन की इच्छओं और बुद्धि के
अहंकार का पिघलना ही प्रेम है।
जैसे अपने इष्टदेव के साथ
समर्पित भाव से एक हो जाते हैं।
सबकुछ भूल कर एकाकार हो जाना। The Writer Junction आप कवियों कवयित्रियों का इस प्रतियोगिता में स्वागत करता है। 30 शब्दों में अपनी रचना लिखें।

#yqdidi #yqbaba #yqyourquoteandmine #thewriterjunction #प्रेमकीपरिभाषाtwj 

👉 आपकी रचना मौलिक होनी चाहिये।
👉 समय सीमा - 06 जून 2020 शाम 16:30 तक
👉 कृपया हमारे Hashtags बरकरार रखें। 
👉 कृपया Collab करने के पश्चात Comment में Done करें।
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अहंकार का पिघलना ही प्रेम है।
जैसे अपने इष्टदेव के साथ
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