खेतो में हल, कान्धे पे हल जमीन कहाँ गयी कर्जदारी और पानी नहीं ,वोट बैंक वादे खा गई इक हल बचा था, किसी को फासी तो किसी को बची जमीन जलाने काम आ गई कृषियंत्र पर GST मंहगी भारी आ गई किसान का अनाज औने पौने दाम खा गई किसी बाप ने रखा घर जमीन गिरवी अब की बार बारिश घर खा गई करनी थी बेटी की शादी जोरो से खेत में झुला बाप दर्द की दास्तान फिर बेटी का बाप जमीन, नेता, सरकार खा गई #मेरीडायकीकेकुछपन्ने #sanjaychampapur #champapur #apanakalamasanjay