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मुझे शहर नहीं अपना गावं अच्छा लगता है कड़कती धूप

मुझे शहर नहीं अपना गावं अच्छा लगता है 
कड़कती धूप में  हारे भरे पेड़ों का छाव अच्छा लगता है 
मैं प्रजापति का  बेटा हूँ 
मुझे  अपनी माटी  के  बने मटके में पानी पीना बेहद अछा लगता है  
 ये गावं हैं ना  साहब यहा  पर सब कुछ अछा लगता है

© Subhash Chandra Prajapati
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