तू चाय चटकीली व्हिस्की की खुमारी तेरे नख़रे वखरे माचिस की चिंगाडी , नागन को देखा-देखी तू भी उस सी ज़हरीली फुफकार न मार... तू कहाँ मीठी और भोली तेरे नख़रे क्यों छप्पन छुरी, तू है अच्छी हर तरह से जाने क्यों नख़रे तेरे हैं बुरी... लिपट लिपट जब तू जगाती प्यारी नींद भी शरमाकर भाग जाती, दिल को तू सुबह की चाय लगती फिर तेरे नख़रे पागल बनाती... कितनी बार कहता हूँ कि नख़रे के चक्करों से दूर रह, ऐसा ना हो कि कभी हो जाऊं मैं भी नख़रे के नशे में चूर.. देख मैं तेरे प्यार में बावड़ा हूँ प्यार ही प्यार मेरे दिल में है, ये न हो तेरी नख़रे वखरे से दिल टूट कर शीशे सा चकनाचूर हों.. ये न हो कि तेरे नख़रे सौतन तुझे घोषित करें, दिल पे कई छुरिया लेकर द्वन्ध युद्ध वो घोषित करें... इसलिए निशीथ की विनती जैसी तू डेरिमिल्क सी मीठी वैसी ही रह, नाज़-नखरे-जादू-टोने के चक्कर वक्कर से रह परे सच कहूँ तू तो मेरी सबसे प्यारी प्यारी परी जैसी ही दुलारी रह... #निशीथ ©Nisheeth pandey #nakhre तू चाय चटकीली व्हिस्की की खुमारी तेरे नख़रे वखरे माचिस की चिंगाडी , नागन को देखा-देखी तू भी उस सी ज़हरीली फुफकार न मार... तू कहाँ मीठी और भोली तेरे नख़रे क्यों छप्पन छुरी,