मानवता के कुकर्मों ने सारी लज्जा को गिरा दिया, मानवता के प्रेम को एक पल मे ही मिटा दिया। गिरती मानवता ने देखो माता पिता के सपनो का महल गिरा दिया, भाई भाई में ना जाने कितना बैर बड़ा दिया। गिरती मानवता ने देखो इन्सान को हैवान बना दिया। ©Sharddha Saxena गिरती मानवता